YouTube’s New AI Search Carousel Is Changing How We Discover Videos — Here’s What You Need to Know You know that moment when you type something like “best cafés in Paris” into YouTube, and you’re buried under a flood of random vlogs, listicles, and unrelated reviews? Yeah, we’ve all been there. But that chaotic hunt for the right video might soon be a thing of the past. YouTube just rolled out an AI-powered search carousel — and it’s not just another shiny feature. It’s a smart, intuitive, and (honestly) much-needed step forward that could completely change how we search for and interact with video content. Let me break it down — not like a press release, but like someone who geeks out about this stuff and actually uses YouTube every day. --- What Is YouTube’s AI Search Carousel? In simple terms: YouTube now shows an AI-generated video carousel when you search for things like: Travel recommendations Local activities and attractions Shopping inspirati...
**मणिपुर सरकार ने बिष्णुपुर समेत पांच जिलों में कर्फ्यू और इंटरनेट बंदी लगाई**
संघर्ष और अशांति के बीच जनजीवन ठप, स्थानीय निवासियों की चिंता बढ़ी
एक परिवार की कहानी: "हम नहीं जानते कि कब तक यह सब चलेगा"
बिष्णुपुर जिले के एक छोटे से गाँव में 45 वर्षीय मीना देवी अपने दो बच्चों को लेकर घर के अंदर दबी आवाज़ में बात करती हैं। बाहर सन्नाटा है, सड़कें खाली हैं, और कभी-कभी दूर से पुलिस की गाड़ियों की सायरन की आवाज़ सुनाई देती है। "पिछले हफ्ते से हमारे गाँव में तनाव है। दुकानें बंद हैं, अस्पताल तक जाना मुश्किल हो गया है," वह कहती हैं, आँखों में डर साफ झलक रहा है। उनका परिवार उन हज़ारों लोगों में से एक है, जो मणिपुर सरकार द्वारा लगाए गए कर्फ्यू और इंटरनेट शटडाउन से प्रभावित हुए हैं।
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क्या हुआ और क्यों?
मणिपुर सरकार ने 3 जून को बिष्णुपुर, चुराचंदपुर, कांगपोक्पी, इम्फाल पश्चिम और इम्फाल पूर्व जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया और इंटरनेट सेवाएँ भी निलंबित कर दीं। यह निर्णय जातीय हिंसा और सामुदायिक तनाव के बढ़ते मामलों के बीच लिया गया। पिछले दो हफ्तों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुई झड़पों में कम से कम 5 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हुए हैं।
पुलिस के अनुसार, हाल की हिंसा की जड़ें स्थानीय जनजातीय समूहों और मैतेई समुदाय के बीच जमीन और संसाधनों को लेकर चल रहे विवादों में हैं। सरकार ने दावा किया कि कर्फ्यू और इंटरनेट बंदी से स्थिति पर नियंत्रण पाने और अफवाहों को रोकने में मदद मिलेगी।
जिनकी ज़िंदगी प्रभावित हुई
इम्फाल के एक छोटे व्यवसायी, राजेश सिंह, जो ऑनलाइन आर्डर पर निर्भर थे, अब अपनी दुकान बंद कर चुके हैं। "मेरा रोज़ का कारोबार 80% गिर गया है। इंटरनेट बंद होने से हम बाहर की दुनिया से कट गए हैं," वह कहते हैं।
वहीं, नर्सिंग छात्रा प्रियंका मैतेई की परीक्षाएँ स्थगित हो गई हैं। "हम ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे। भविष्य अनिश्चित लग रहा है," उनकी आवाज़ में निराशा है।
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सरकार का दावा: सुरक्षा और शांति की कोशिश
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा है कि यह कदम "अत्यावश्यक और जनहित में" उठाया गया है। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि इंटरनेट बंदी से झूठी खबरों और सोशल मीडिया पर हिंसा भड़काने वाले संदेशों पर अंकुश लगा है। कुछ स्थानीय नेताओं ने भी इस फैसले का समर्थन किया है।
हालाँकि, मानवाधिकार संगठनों और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने इस कदम की आलोचना की है। "इंटरनेट बंदी से आम लोगों की मुश्किलें बढ़ी हैं। आपातकालीन सेवाएँ, शिक्षा और व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं," मणिपुर ह्यूमन राइट्स फोरम के अध्यक्ष जॉयदीप सिंह कहते हैं।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। "सरकार को जमीनी स्तर पर बातचीत बढ़ानी चाहिए। केवल कर्फ्यू लगाने से समस्या दबेगी, खत्म नहीं होगी," समाजशास्त्री डॉ. एच. राजेन्द्र सिंह बताते हैं।
आगे की राह: क्या हो सकता है समाधान?
स्थिति को सामान्य करने के लिए सरकार ने अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की है और शांति बैठकों का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन स्थानीय निवासी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इंटरनेट सेवाएँ बहाल की जाएँ और दीर्घकालीन शांति के लिए सामुदायिक संवाद को प्राथमिकता दी जाए।
जैसे-जैसे मणिपुर के लोग इस संकट से जूझ रहे हैं, उम्मीद की जा सकती है कि सरकार और समुदाय मिलकर एक स्थिर भविष्य की ओर बढ़ेंगे। लेकिन फिलहाल, मीना देवी और उनके बच्चों की तरह हज़ारों लोगों के लिए, जीवन एक अनिश्चित इंतज़ार में अटका हुआ है।
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